गोविन्द दामोदर स्तोत्र: मृत्यु के समय 'सिस्टम क्रैश' से बचने का अल्टीमेट पासवर्ड (The Ultimate Guide with Lyrics and its meaning)

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PSVMishra

चेतावनी: यह आर्टिकल कोई साधारण 'भजन-कीर्तन' का लेख नहीं है। यह आपके सबकॉन्शियस माइंड (Subconscious Mind) को री-प्रोग्राम करने का एक 'ब्लूप्रिंट' है। अगर आप जीवन, मृत्यु और उसके बाद के विज्ञान को समझने की हिम्मत रखते हैं, तभी आगे पढ़ें। यह लेख मुख्य रूप से उन्हीं व्यक्तियों से गहरा सामंजस्य स्थापित कर पाएगा, जिन्होंने जीवन की क्षणभंगुरता को अनुभव किया हो अथवा मृत्यु की अनिवार्यता के प्रति विशेष संवेदनशीलता विकसित की हो। क्योंकि, अंततः यही मूलभूत सत्य है कि "सब कुछ यहीं छोड़कर जाना है।"

हमारा दिमाग (Mind) एक ऐसा 'सुपरकंप्यूटर' है जिसमें वायरस लग चुका है।

वायरस का नाम है - चिंता (Anxiety) और मोह (Attachment)।

हम पूरी जिंदगी भागते हैं। पैसा, पावर, प्रमोशन... लेकिन जब "सिस्टम शटडाउन" (Death) का समय आता है, तो हमारा सारा डेटा करप्ट हो जाता है। उस समय न बैंक बैलेंस काम आता है, न फॉलोअर्स।

तो सवाल यह है: क्या कोई ऐसा "एंटीवायरस" या "मास्टर पासवर्ड" है जिसे अगर हम आज अपने सिस्टम में फीड कर दें, तो अंत समय में हमारा सॉफ्टवेयर क्रैश न हो?

जी हाँ, है।

इसे कहते हैं - श्री गोविन्द दामोदर स्तोत्र (Sri Govinda Damodara Stotram)

12वीं सदी के एक महान संत, जो कभी कामुकता के अंधेरे में डूबे थे, उन्होंने अपनी आँखें फोड़कर (जी हाँ, सच में!) इस 'कोड' को क्रैक किया था। आज हम इसी स्तोत्र के एक-एक श्लोक का 'पोस्टमार्टम' करेंगे और जानेंगे कि यह आपके डिप्रेशन और स्ट्रेस का इलाज कैसे कर सकता है!

दामोदर (Damodara)
दामोदर (Damodara)

What is Govinda Damodara Stotram?

गोविन्द दामोदर स्तोत्र 12वीं सदी के वैष्णव संत बिल्वमंगल ठाकुर (लीलाशुक) द्वारा रचित एक शक्तिशाली प्रार्थना है। यह भगवान श्रीकृष्ण के तीन विशेष नामों—गोविन्द (इन्द्रियों को आनंद देने वाले), दामोदर (रस्सी से बंधे हुए) और माधव (मधुरता के स्वामी)—पर केंद्रित है। यह स्तोत्र मुख्य रूप से 'स्मरण भक्ति' का अभ्यास है, जिसे मृत्यु के समय भगवान को याद रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

1. फ्लैशबैक: एक "पागल" प्रेमी से "महा संत" बनने की कहानी (The Origin Story)

इस स्तोत्र की गहराई को समझने के लिए, आपको इसके रचयिता बिल्वमंगल ठाकुर के दिमाग में झांकना होगा।

ये कोई जन्मजात संत नहीं थे। ये 'चिंतामणि' नाम की एक वेश्या के प्रेम में इस कदर पागल थे कि दुनियादारी भूल चुके थे। कहानी कहती है कि एक तूफानी रात में, जब नदी उफान पर थी, ये अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए एक "सड़ी हुई लाश" को लकड़ी का टुकड़ा समझकर नदी पार कर गए।

सोचिये, पागलपन (Obsession) का लेवल क्या रहा होगा!

जब ये चिंतामणि के पास पहुंचे, तो उसने इन्हें फटकारते हुए कहा:

"धिक्कार है तुम पर! अगर इतना पागलपन, इतना प्रेम मेरे इस हाड़-मांस के शरीर की जगह भगवान 'श्री कृष्ण' से किया होता, तो आज तुम कहाँ होते!"

यह एक लाइन... बस एक लाइन ने उनका पूरा "ऑपरेटिंग सिस्टम" बदल दिया।

उन्हें इतना गहरा आघात लगा कि वे तुरंत वहां से निकल पड़े। कहते हैं कि बाद में जब एक और महिला को देखकर उनका मन विचलित हुआ, तो उन्होंने अपनी ही आँखों को फोड़ लिया - ताकि यह बाहरी दुनिया फिर कभी उनके और उनके कृष्ण के बीच न आ सके।

और उस अंधेरे में... उनकी "तीसरी आँख" खुली। उस गहरे विरह और प्रेम की आग में तपकर जिस कविता का जन्म हुआ, वो है - गोविन्द दामोदर स्तोत्र

गोविन्द (Govinda)
गोविन्द (Govinda)

Govind Damodar Madhav Stotra Lyrics and its meaning (गोविन्द दामोदर माधव स्तोत्र अर्थ और लिरिक्स)

नीचे पहले स्तोत्र के श्लोक दिए गए हैं, उसके बाद पद‑दर पद अर्थ और व्याख्या (lyrics, meaning, decoding & explanation) प्रस्तुत है। इससे पाठक को सही उच्चारण और भावार्थ दोनों समझ में आएंगे।

2. द सीक्रेट कोड: श्लोक और उनका 'डीप डिकोडिंग' (The Verses, lyrics & Meanings)

यहाँ मैंने आपके लिए हर श्लोक को डिकोड किया है। इसे सिर्फ पढ़िए मत, इसे 'विज़ुअलाइज़' कीजिये।

श्लोक 1: द अल्टीमेट लूप (The Loop of Divinity)

करारविन्देन पदारविन्दं, मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्।
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं, बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥

सरल अर्थ: जो अपने कमल जैसे कोमल हाथों से, अपने ही कमल जैसे पैरों को पकड़कर, अपने कमल जैसे मुख में डाल रहे हैं (पैर का अंगूठा चूस रहे हैं)। और जो प्रलयकाल में वटवृक्ष के पत्ते के दोने (पुटे) पर लेटे हुए हैं... उस बाल मुकुंद को मैं मन से स्मरण करता हूँ।

Decoding:

यह सिर्फ एक 'क्यूट' तस्वीर नहीं है। यह "Self-Sufficiency" का प्रतीक है। कृष्ण अपने ही चरणों का रस चखते हैं, मानो कह रहे हों: “सुख बाहर नहीं, भीतर है।” यह है स्व-रस—जहाँ आत्मा स्वयं को पोषण देती है। वटपत्र (Banyan Leaf) विनाश के समय सुरक्षा का प्रतीक है। जब आपकी दुनिया (करियर, रिश्ते) डूब रही हो, जब जगत डूबता है, तब भी सत्य का बीज सुरक्षित रहता है। तर्क यहाँ सरल है: जो भीतर शाश्वत है, वही बाहर सुरक्षा देता है। यह श्लोक हमें याद दिलाता है कि स्थिरता किसी करियर या रिश्ते में नहीं, बल्कि उस दिव्य लूप में है जहाँ आरंभ और अंत एक ही बिंदु पर मिलते हैं। तो यह श्लोक आपको मानसिक सुरक्षा देता है।

श्लोक 2: जीभ की प्रोग्रामिंग (Programming the Tongue)

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेव।
जिह्वे पिवस्वामृतमेतदेव, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

सरल अर्थ: हे मेरी जीभ (जिव्हे)! तू इधर-उधर की फालतू बातें क्यों करती है? तू केवल इस "अमृत" का पान कर। वो अमृत क्या है? वो नाम हैं - "श्री कृष्ण, गोविन्द, हरे, मुरारे, हे नाथ, नारायण, वासुदेव!"

Decoding:

यह "Neuro-Linguistic Programming" (NLP) है। बिल्वमंगल ठाकुर अपनी ही जीभ से बात कर रहे हैं। हम दिन भर शिकायतें करते हैं, गॉसिप करते हैं (Toxicity)। यह श्लोक हमें सिखाता है कि जीभ को 'अमृत' (Divine Vibrations) पीने की आदत डालनी होगी।

श्लोक 3: सबकॉन्शियस माइंड का खेल (The Subconscious Hack)

विक्रेतुकामाखिल गोपकन्या, मुरारि पादार्पित चित्तवृतिः।
दध्यादिकं मोहावशादवोचद्, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

सरल अर्थ: एक गोपी दही, दूध और मक्खन बेचने निकली है। उसका मन पूरी तरह कृष्ण के चरणों में लगा है। उसे बाजार में चिल्लाना था - "दही ले लो, दूध ले लो!"... लेकिन उसके मुंह से अनजाने में (मोहवश) क्या निकला? "गोविन्द ले लो, दामोदर ले लो, माधव ले लो!"

Decoding:

यह मेरा पसंदीदा श्लोक है। इसे कहते हैं "Auto-Pilot Mode"। जब आप किसी से इतना प्यार करते हैं कि आपका दिमाग काम कर रहा हो (दही बेचना), लेकिन आपकी आत्मा कहीं और हो। जब आपके मुंह से अनजाने में भगवान का नाम निकले, तब समझो आपका 'सिमुलेशन' हैक हो गया है।

श्लोक 4: सामुदायिक शक्ति (The Power of Community)

गृहे-गृहे गोपवधू कदम्बा:, सर्वे मिलित्वा समवाप्ययोगम्।
पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

सरल अर्थ: घर-घर में गोपियों के समूह मिलकर, एक साथ योग (सत्संग) करके, नित्य उन पवित्र नामों का पाठ करती हैं - गोविन्द, दामोदर, माधव।

श्लोक 5: नींद में योग (Yoga of Sleep)

सुखं शयाना निलये निजेऽपि, नामानि विष्णोः प्रवदन्तिमर्त्याः।
ते निश्चितं तन्मयतमां व्रजन्ति, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

सरल अर्थ: जो लोग अपने घर में सुख से सोते हुए भी (या लेटे हुए भी) भगवान विष्णु के नामों का उच्चारण करते रहते हैं, वे निश्चित रूप से भगवान के स्वरूप (तन्मयता) को प्राप्त हो जाते हैं।

Decoding:

क्या आपको नींद नहीं आती? यह श्लोक कहता है कि आपको 'ध्यान' करने के लिए हिमालय जाने की जरूरत नहीं है। अपने बेडरूम में, अपने कम्फर्ट जोन में (सुखं शयाना) रहते हुए भी अगर आप इस 'फ्रीक्वेंसी' से जुड़े हैं, तो आपका मोक्ष पक्का है।

श्लोक 6: दुःखों का नाशक (The Painkiller)

जिह्वे सदैवं भज सुन्दराणि, नामानि कृष्णस्य मनोहराणि।
समस्त भक्तार्ति विनाशनानि, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

सरल अर्थ: हे जीभ! तू भगवान के उन सुंदर और मन को हरने वाले नामों को भज, जो भक्तों के समस्त दुःखों (आर्ति) का विनाश करने वाले हैं।

श्लोक 7: जीवन का सार (The Summary of Existence)

सुखावसाने इदमेव सारं, दुःखावसाने इदमेव ज्ञेयम्।
देहावसाने इदमेव जाप्यं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

सरल अर्थ: सुख के अंत में यही सार है (कि सुख क्षणिक है)। दुःख के अंत में यही जानने योग्य है (कि भगवान ही सत्य हैं)। और सबसे बड़ी बात - "देहावसाने" (जब शरीर छूट रहा हो), तब केवल यही जपने योग्य है - गोविन्द, दामोदर, माधव।

Decoding:

यह श्लोक आपकी "Exit Strategy" है। जीवन भर हम सोचते हैं "अंत में देखेंगे"। लेकिन जब यमराज सामने खड़े होते हैं, और गले से आवाज़ नहीं निकलती, तब वही नाम बाहर आएगा जिसकी आपने जीवन भर प्रैक्टिस की है। यह आपका "Ultimate Backup Plan" है।

श्लोक 8: जीभ को नसीहत (Advice to the Tongue)

जिह्वे रसज्ञे मधुरप्रिया त्वं, सत्यं हितं त्वां परमं वदामि।
आवर्णयेथा मधुराक्षराणि, गोविन्द दामोदर माधवेति॥
Version: आवर्णये त्वं

सरल अर्थ: हे रस को जानने वाली (चटोरी) जीभ! तुझे मीठा बहुत पसंद है न? मैं तुझे सबसे परम सत्य और हितकारी बात बताता हूँ। तू इन मधुर अक्षरों का स्वाद ले - गोविन्द, दामोदर, माधव।

श्लोक 9: यमराज से अपील (Plea to Death)

त्वामेव याचे मन देहि जिह्वे, समागते दण्डधरे कृतान्ते।
वक्तव्यमेवं मधुरम सुभक्तया, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

सरल अर्थ: हे मेरी जीभ! मैं तुझसे हाथ जोड़कर बस एक ही भीख मांगता हूँ। जब दंडधर (यमराज) अंत समय में मेरे सामने आएं, तब तू कृपा करके बड़े प्यार और भक्ति से बस यही कहना - गोविन्द, दामोदर, माधव।

Decoding:

यह श्लोक रोंगटे खड़े कर देने वाला है। भक्त को मौत का डर नहीं है, डर इस बात का है कि कहीं मौत के समय वह भगवान का नाम लेना न भूल जाए।

श्लोक 10: अमृत पान (Drinking the Nectar)

श्रीनाथ विश्वेश्वर विश्व मुर्ते श्री देवकीनन्दन दैत्य शत्रु ।
जिह्वे पिवस्वामृतमेतदेवं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

सरल अर्थ: हे श्रीनाथ, विश्वेश्वर, विश्वमूर्ति, देवकीनंदन, दैत्यों के शत्रु! हे जीभ, तू इस देव रूपी अमृत का ही पान कर।

श्लोक 11: अंतिम समर्पण (The Final Surrender)

श्री कृष्ण राधावर गोकुलेश, गोपाल गोवर्धन नाथ विष्णो।
जिह्वे पिवस्वामृतमेतदेवं, गोविन्द दामोदर माधवेति॥

सरल अर्थ: हे राधावर, गोकुलेश, गोपाल, गोवर्धन नाथ, विष्णु! हे जीभ, तू बस इन्हीं नामों के अमृत को पीती रह।

माधव (Madhava)
माधव (Madhava)

3. डिकोडिंग: आखिर यही तीन नाम क्यों? (The Science of Names)

आप सोचेंगे, भगवान के तो अनंत नाम हैं, फिर बिल्वमंगल ठाकुर ने बार-बार इन्हीं तीन नामों (गोविन्द, दामोदर, माधव) पर जोर क्यों दिया? इसके पीछे एक गहरा मनोविज्ञान है।

  • गोविन्द (Govinda): 'गो' का अर्थ है 'इन्द्रियां' या 'गायें'। 'विन्द' का अर्थ है 'आनंद देने वाला'। हम अपनी इन्द्रियों (आँख, कान, जीभ) को तृप्त करने के लिए नेटफ्लिक्स और जंक फूड के पीछे भागते हैं। यह नाम याद दिलाता है कि इन्द्रियों का असली 'आनंद' (Satisfaction) सिर्फ कृष्ण हैं।
  • दामोदर (Damodara): 'दाम' (रस्सी) + 'उदर' (पेट)। यह वो नाम है जो भगवान के "बन्धन" को दर्शाता है। माँ यशोदा ने उन्हें रस्सी से बांध दिया था। यह नाम हमारे "अहंकार" (Ego) को तोड़ता है। यह बताता है कि भगवान "योग" या "ज्ञान" से नहीं, बल्कि "प्रेम की रस्सी" से बंधते हैं।
  • माधव (Madhava): 'मा' (लक्ष्मी) + 'धव' (पति)। या मधुरता के स्वामी। यह नाम जीवन में मिठास और ऐश्वर्य का प्रतीक है।

4. पाठ कैसे करें और इसके लाभ (How to Hack Your Destiny)

इस स्तोत्र का पाठ करने के लिए आपको किसी जंगल में जाने की जरूरत नहीं है।

विधि (The Process):

इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ जपना चाहिए। सुबह उठते ही (बेड टी से पहले) या रात को सोने से ठीक पहले इसका पाठ सबसे प्रभावी होता है। मन को शांत रखें और शब्दों की वाइब्रेशन को महसूस करें।

फायदे (The Benefits):

  • मानसिक शांति (Mental Detox): यह आपके दिमाग से फालतू के 'कैश' (Cache) को डिलीट करता है।
  • आत्मिक शुद्धि: यह आपकी आत्मा पर जमी कर्मों की धूल को साफ़ करता है।
  • संसारिक चिंताओं से मुक्ति: जब आप 'दामोदर' बोलते हैं, तो आपकी समस्याएं छोटी लगने लगती हैं।
  • दिव्य सुरक्षा: यह आपको एक अदृश्य 'कवच' प्रदान करता है।

निष्कर्ष: रट लो, काम आएगा!

दोस्त, जीवन का कोई भरोसा नहीं है। हम सब एक "वेटिंग रूम" में बैठे हैं और यमराज कभी भी हमारा नाम पुकार सकते हैं।

बिल्वमंगल ठाकुर ने अपनी आँखें फोड़ लीं थीं ताकि वे भटकें नहीं। हमें आँखें फोड़ने की जरूरत नहीं है, बस अपना "नज़रिया" बदलने की जरूरत है।

इस स्तोत्र को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। इसे रट लीजिये।

गाते हुए, नहाते हुए, ड्राइव करते हुए, या खाना बनाते हुए।

अपनी जीभ को इतनी आदत डाल दीजिये कि जब बुढ़ापे में याददाश्त चली जाए, या कोमा में भी चले जाएं, तो सबकॉन्शियस माइंड (Subconscious Mind) अपने आप टेप रिकॉर्डर की तरह बजने लगे - गोविन्द... दामोदर... माधव!

यही असली कमाई है, बाकी सब (गाड़ी, बंगला, डिग्री) तो यहीं रह जाना है।

तो आइये, आज से ही इस "पासवर्ड" को रीसेट करें।

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So basically...

Death is certain. The password to bypass it is 'Govinda Damodara Madhav'.

Don't forget to save it.

.

And As Always

Thanks For Reading!!!

~ PSMishra

गोविन्द दामोदर स्तोत्र किसने लिखा है?

इसकी रचना 12वीं सदी के महान वैष्णव संत बिल्वमंगल ठाकुर (जिन्हें लीलाशुक भी कहा जाता है) ने की थी। वे श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे और उनकी रचनाओं में भक्ति, प्रेम और दिव्य लीला का अद्भुत संगम मिलता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से कृष्ण नाम संकीर्तन की महिमा को उजागर करता है।

गोविन्द का अर्थ क्या है?

'गो' का अर्थ गाय, पृथ्वी और इन्द्रियां है, जबकि 'विन्द' का अर्थ आनंद देना या रक्षक है। इस प्रकार गोविन्द वह हैं जो गायों, पृथ्वी और इन्द्रियों के रक्षक तथा आनंददाता हैं। यह नाम श्रीकृष्ण के गोपाल स्वरूप और विश्वपालक रूप को दर्शाता है।

इस स्तोत्र का पाठ कब करना चाहिए?

आप इसे किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन प्रातःकाल और संध्याकाल का समय सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। विशेषकर एकादशी, पूर्णिमा, और भाद्रपद माह में इसका पाठ अत्यंत शुभ फलदायी होता है। भक्तजन इसे जपमाला के साथ भी करते हैं, जिससे मन शुद्ध होता है और कृष्ण भक्ति गहन होती है।

गोविन्द दामोदर माधवेति स्तोत्र का महत्व क्या है?

यह स्तोत्र केवल भक्ति गीत नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक सुरक्षा कवच है। इसमें गोविन्द, दामोदर, और माधव नामों का जप है, जो मन को शांति, आत्मा को स्थिरता और जीवन को दिव्यता प्रदान करता है। द्रौपदी ने जब दुःशासन द्वारा अपमानित की जा रही थीं, तब उन्होंने यही नाम पुकारे और भगवान ने उनकी रक्षा की। यह दर्शाता है कि संकट के समय भी इन नामों का स्मरण रक्षा कवच बन जाता है।

इस स्तोत्र के पाठ से क्या लाभ होते हैं?

इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति, भय का नाश, और भक्ति की गहराई प्राप्त होती है। यह पापों का क्षय करता है, सकारात्मक ऊर्जा देता है और कृष्ण नाम संकीर्तन की शक्ति से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। विशेषकर रात को सोने से पहले इसका जप करने से मन निर्मल होता है और नींद में भी कृष्ण स्मरण बना रहता है।

गोविन्द दामोदर माधवेति स्तोत्र में कौन-कौन से नाम आते हैं?

इस स्तोत्र में मुख्य रूप से गोविन्द, दामोदर, और माधव नामों का बार-बार जप होता है। साथ ही इसमें वासुदेव, केशव, मुरारी, और नारायण जैसे नाम भी आते हैं। ये सभी नाम श्रीकृष्ण के विभिन्न स्वरूपों और लीलाओं को दर्शाते हैं।

क्या यह स्तोत्र केवल वैष्णव परंपरा के लिए है?

यद्यपि यह स्तोत्र वैष्णव परंपरा में अत्यधिक लोकप्रिय है, लेकिन इसके नामजप और भक्ति भाव सार्वभौमिक हैं। कोई भी साधक, चाहे वह किसी भी परंपरा से हो, इसका पाठ कर सकता है और कृष्ण नाम की शक्ति का अनुभव कर सकता है।

गोविन्द-दामोदर-माधव
|| गोविन्द-दामोदर-माधव ||

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