ज्योतिष और वैवाहिक कलह: क्या ग्रहों की चाल तय करती है रिश्तों का खूनी अंत?

प्रामाणिक संदर्भों के साथ समझिए कि कैसे सप्तम भाव और अष्टम भाव के पाप ग्रह वैवाहिक जीवन में गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकते हैं।

हाल ही में सामने आई सोनम राजवंशी-राजा राजवंशी मामले जैसी हृदय विदारक घटनाएँ हमें सोचने पर मजबूर करती हैं – क्या हमारे रिश्तों का भविष्य, विशेषकर वैवाहिक जीवन का, पहले से ही ग्रहों की चाल में लिखा होता है? क्या ज्योतिषीय योग वास्तव में ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण और हिंसक परिणामों की ओर इशारा करते हैं? यह प्रश्न केवल जिज्ञासा का विषय नहीं, बल्कि समाज में बढ़ती वैवाहिक समस्याओं और उनके भयावह परिणामों के बीच एक गंभीर चिंतन का विषय है। वैदिक ज्योतिष के प्राचीन ग्रंथों में ऐसे कई सूक्ष्म संकेत छिपे हैं जो वैवाहिक जीवन में आने वाली गंभीर चुनौतियों, यहाँ तक कि अलगाव, हिंसा और मृत्यु तक के योगों का वर्णन करते हैं। आज हम इन्हीं गूढ़ ज्योतिषीय रहस्यों को उजागर करेंगे, यह समझने का प्रयास करेंगे कि कैसे ग्रहों की स्थिति रिश्तों में जहर घोल सकती है, और सबसे महत्वपूर्ण, इन विनाशकारी योगों से बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।

एक महिला और पुरुष के बीच दरार दिखाती 3D वैदिक ज्योतिष चित्रण (3) एक महिला और पुरुष के बीच दरार दिखाती 3D वैदिक ज्योतिष चित्रण (3)


सोनम राजवंशी-राजा राजवंशी मामला: क्या ज्योतिष में छिपे थे इसके संकेत?

मेघालय में हनीमून के दौरान हुई राजा राजवंशी की कथित हत्या और उसमें उनकी पत्नी सोनम राजवंशी की गिरफ्तारी ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। यह घटना वैवाहिक रिश्तों की जटिलता और उनके अप्रत्याशित मोड़ का एक भयावह उदाहरण है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, ऐसी घटनाएँ केवल व्यक्तिगत कर्मों का परिणाम नहीं होतीं, बल्कि जन्म कुंडली में मौजूद कुछ विशेष ग्रहों के योग भी इनमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। प्राचीन ज्योतिषीय ग्रंथ, जैसे कि वृहत् पाराशर होरा शास्त्र, भृगु संहिता, और फलदीपिका, वैवाहिक जीवन में कलह, अलगाव, और यहाँ तक कि जीवनसाथी की मृत्यु के संकेत देने वाले कई योगों का विस्तृत वर्णन करते हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि ज्योतिष केवल भविष्यवाणियाँ नहीं करता, बल्कि यह हमें संभावित चुनौतियों के प्रति आगाह करता है और उनसे निपटने के लिए उपाय भी सुझाता है।

महिला का हाथ जिसमें विवाह रेखा टूटी हुई है, और उसके ऊपर क्रूर ग्रहों (मंगल, शनि, राहु) के मानव रूप में सूक्ष्म प्रभाव महिला का हाथ जिसमें विवाह रेखा टूटी हुई है, और उसके ऊपर क्रूर ग्रहों (मंगल, शनि, राहु) के मानव रूप में सूक्ष्म प्रभाव


वैवाहिक कलह और हिंसा के ज्योतिषीय योग: प्राचीन ग्रंथों से प्रमाण

वैदिक ज्योतिष में, वैवाहिक जीवन का विश्लेषण मुख्य रूप से सप्तम भाव (विवाह का भाव), सप्तमेश (सप्तम भाव का स्वामी), शुक्र (विवाह का कारक ग्रह), और गुरु (पति का कारक ग्रह, स्त्री कुंडली में) के माध्यम से किया जाता है। इसके अतिरिक्त, अष्टम भाव (दीर्घायु और मृत्यु का भाव) और द्वादश भाव (हानि और व्यय का भाव) भी वैवाहिक जीवन में आने वाली गंभीर समस्याओं के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

वृहत् पाराशर होरा शास्त्र (Brihat Parashara Hora Shastra) से योग:

महर्षि पाराशर ने अपने ग्रंथ वृहत् पाराशर होरा शास्त्र में वैवाहिक जीवन से संबंधित कई योगों का वर्णन किया है। इनमें से कुछ योग वैवाहिक कलह और जीवनसाथी की हानि का संकेत देते हैं:

"यदि सप्तमेश नीच राशि में हो, शत्रु क्षेत्री हो, या पाप ग्रहों से युक्त हो, तो जातक को वैवाहिक सुख की कमी होती है। यदि सप्तम भाव में पाप ग्रह स्थित हों और उन पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि हो, तो वैवाहिक जीवन में कलह और अलगाव होता है।"

"यदि स्त्री की कुंडली में अष्टम भाव में कोई पाप ग्रह स्थित हो और वह नीच का हो या शत्रु राशि में हो, तो पति की अल्पायु होती है।"

"यदि मंगल सप्तम भाव में हो, और उस पर शनि या राहु की दृष्टि हो, तो वैवाहिक जीवन में हिंसा और विवाद होते हैं।"

ये सूत्र स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि सप्तम भाव और उसके स्वामी की स्थिति, साथ ही पाप ग्रहों का प्रभाव, वैवाहिक जीवन में गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। विशेष रूप से, स्त्री की कुंडली में अष्टम भाव में पाप ग्रहों की स्थिति पति के लिए हानिकारक मानी गई है।

भृगु संहिता (Bhrigu Samhita) से योग:

भृगु संहिता, जिसे ज्योतिष का एक महाग्रंथ माना जाता है, में भी वैवाहिक जीवन से संबंधित कई योगों का उल्लेख है। यह ग्रंथ ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभावों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है:

"यदि शुक्र और मंगल एक साथ सप्तम भाव में हों, और उन पर शनि की दृष्टि हो, तो वैवाहिक जीवन में अत्यधिक तनाव और कलह होता है, जो अलगाव का कारण बन सकता है।"

"यदि सप्तमेश छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो, और उस पर पाप ग्रहों का प्रभाव हो, तो वैवाहिक सुख में कमी आती है और जीवनसाथी से विवाद होते हैं।"

"यदि राहु या केतु सप्तम भाव में हों, और उन पर मंगल या शनि की दृष्टि हो, तो वैवाहिक जीवन में अप्रत्याशित घटनाएँ और गंभीर समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।"

भृगु संहिता के ये सूत्र वैवाहिक जीवन में ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को और स्पष्ट करते हैं। शुक्र और मंगल का सप्तम भाव में एक साथ होना, विशेषकर शनि के प्रभाव में, रिश्तों में आक्रामकता और तनाव को बढ़ा सकता है।

फलदीपिका (Phaladeepika) से योग:

मंत्रेश्वर द्वारा रचित फलदीपिका भी वैवाहिक ज्योतिष पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालती है। इसमें कुछ ऐसे योगों का वर्णन है जो वैवाहिक जीवन में दुर्भाग्य और हानि का संकेत देते हैं:

"यदि सप्तमेश पाप कर्तरी योग में हो (दो पाप ग्रहों के बीच फंसा हो), या अस्त हो, तो वैवाहिक जीवन में कष्ट होता है।"

"यदि स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो, और उस पर क्रूर ग्रहों की दृष्टि हो, तो पति की हानि होती है।"

"यदि मंगल और शनि सप्तम भाव में एक साथ हों, तो वैवाहिक जीवन में हिंसा और मृत्यु तुल्य कष्ट होते हैं।"

फलदीपिका के ये सूत्र वैवाहिक जीवन में ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को और गहराई से समझाते हैं, विशेषकर पाप कर्तरी योग और क्रूर ग्रहों की दृष्टि के प्रभावों पर जोर देते हैं।

एक महिला की कुंडली का 3D ज्योतिषीय चार्ट (2) एक महिला की कुंडली का 3D ज्योतिषीय चार्ट (2)


अन्य प्राचीन ग्रंथों से संदर्भ:

उपरोक्त ग्रंथों के अतिरिक्त, अन्य प्राचीन ज्योतिषीय ग्रंथ भी वैवाहिक जीवन में समस्याओं के संकेत देने वाले योगों का वर्णन करते हैं:

  • बृहत् जातक (Brihat Jataka) और लघु जातक (Laghu Jataka) (वराहमिहिर): इन ग्रंथों में भी सप्तम भाव, शुक्र, और मंगल की स्थिति पर विशेष ध्यान दिया गया है, जो वैवाहिक सुख और दुख का निर्धारण करते हैं। वराहमिहिर ने मंगल दोष के प्रभावों पर भी विस्तार से चर्चा की है, जिसे वैवाहिक जीवन में कलह का एक प्रमुख कारण माना जाता है।
  • सारावली (Saravali) (कल्याण वर्मा): सारावली में वैवाहिक जीवन से संबंधित कई योगों का वर्णन है, जिसमें जीवनसाथी की प्रकृति, भाग्य, और वैवाहिक सुख का विश्लेषण किया गया है। इसमें भी पाप ग्रहों के सप्तम भाव में होने से उत्पन्न होने वाली समस्याओं का उल्लेख है।
  • उत्तर कलामृत (Uttara Kalamrita): यह ग्रंथ भी वैवाहिक जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है, जिसमें जीवनसाथी की दीर्घायु और वैवाहिक संबंधों की स्थिरता का विश्लेषण किया गया है। इसमें भी क्रूर ग्रहों के प्रभाव से उत्पन्न होने वाली समस्याओं का वर्णन है।

क्या ग्रहों की चाल ने सोनम राजवंशी को बनाया तथाकथित 'हत्यारा'?

यह एक संवेदनशील प्रश्न है, और ज्योतिष कभी भी किसी व्यक्ति को 'हत्यारा' घोषित नहीं करता। ज्योतिष केवल संभावित प्रवृत्तियों और परिस्थितियों का संकेत देता है। सोनम राजवंशी-राजा राजवंशी मामले में, यदि किसी ज्योतिषी ने उनकी जन्म कुंडली का विश्लेषण किया होता, तो शायद कुछ ऐसे योग सामने आते जो वैवाहिक जीवन में अत्यधिक तनाव, आक्रामकता, या अप्रत्याशित घटनाओं की ओर इशारा करते। उदाहरण के लिए, यदि सोनम की कुंडली में सप्तम भाव या सप्तमेश पर मंगल, शनि, या राहु का अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव होता, या यदि अष्टम भाव में क्रूर ग्रहों की स्थिति होती, तो यह वैवाहिक जीवन में गंभीर चुनौतियों का संकेत हो सकता था।

हालांकि, यह समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि ज्योतिषीय योग केवल 'संभावना' दर्शाते हैं, 'निश्चितता' नहीं। व्यक्ति का स्वतंत्र कर्म (फ्री विल) और उसके द्वारा लिए गए निर्णय ही अंतिम परिणाम निर्धारित करते हैं। ज्योतिष हमें इन संभावित चुनौतियों के प्रति सचेत करता है ताकि हम समय रहते उपाय कर सकें और नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकें।

एक महिला और पुरुष के बीच तनावपूर्ण संबंध दिखाती 3D वैदिक चित्रण एक महिला और पुरुष के बीच तनावपूर्ण संबंध दिखाती 3D वैदिक चित्रण


वैवाहिक जीवन में हिंसा और कलह से बचाव के ज्योतिषीय उपाय

यदि आपकी कुंडली में वैवाहिक जीवन से संबंधित कोई नकारात्मक योग है, तो निराश होने की आवश्यकता नहीं है। वैदिक ज्योतिष में ऐसे कई प्रभावी उपाय बताए गए हैं जो इन नकारात्मक प्रभावों को कम करने और वैवाहिक सुख को बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं:

  1. ग्रह शांति पूजा: संबंधित क्रूर ग्रहों (मंगल, शनि, राहु, केतु) की शांति के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान कराएं।
  2. मंत्र जाप: संबंधित ग्रहों के बीज मंत्रों का नियमित जाप करें। उदाहरण के लिए, मंगल के लिए "ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः", शनि के लिए "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः", राहु के लिए "ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः", और केतु के लिए "ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः"।
  3. रत्न धारण: किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह पर उचित रत्न धारण करें। मंगल के लिए मूंगा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद, और केतु के लिए लहसुनिया।
  4. दान: संबंधित ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का दान करें। मंगल के लिए लाल मसूर, शनि के लिए उड़द, राहु के लिए तिल, और केतु के लिए कंबल।
  5. मंगल दोष निवारण: यदि कुंडली में मंगल दोष हो, तो उसका विधिवत निवारण कराएं। कुंभ विवाह या अर्क विवाह जैसे उपाय किए जा सकते हैं।
  6. हनुमान जी की पूजा: मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ करें। यह मंगल और शनि के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में सहायक होता है।
  7. पारिवारिक सामंजस्य: पति-पत्नी के बीच संवाद और समझदारी बढ़ाएं। एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें और समस्याओं को मिलकर सुलझाएं।
  8. ज्योतिषीय परामर्श: किसी अनुभवी ज्योतिषी से अपनी कुंडली का विस्तृत विश्लेषण कराएं और व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्राप्त करें।

एक युगल शांतिपूर्ण ध्यान मुद्रा में बैठे हैं, उनके चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का आभा मंडल है (1) एक युगल शांतिपूर्ण ध्यान मुद्रा में बैठे हैं, उनके चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का आभा मंडल है (1)


निष्कर्ष: ज्योतिष एक मार्गदर्शक, भाग्य का निर्धारक नहीं

सोनम राजवंशी-राजा राजवंशी जैसे मामले हमें वैवाहिक जीवन की नाजुकता और उसमें छिपी संभावित चुनौतियों की याद दिलाते हैं। वैदिक ज्योतिष हमें इन चुनौतियों को समझने और उनसे निपटने के लिए एक प्राचीन ज्ञान प्रदान करता है। यह हमें बताता है कि ग्रहों की स्थिति हमारे जीवन में कुछ प्रवृत्तियाँ और परिस्थितियाँ निर्मित कर सकती है, लेकिन यह हमारे भाग्य का अंतिम निर्धारक नहीं है। हमारा स्वतंत्र कर्म, हमारे निर्णय, और हमारे द्वारा किए गए उपाय ही अंततः हमारे जीवन की दिशा तय करते हैं।

यह महत्वपूर्ण है कि हम ज्योतिषीय ज्ञान का उपयोग भय फैलाने के लिए नहीं, बल्कि आत्म-जागरूकता और सशक्तिकरण के लिए करें। यदि आपकी कुंडली में वैवाहिक जीवन से संबंधित कोई नकारात्मक योग है, तो उसे एक चेतावनी के रूप में लें और समय रहते उचित उपाय करें। एक सुखी और सामंजस्यपूर्ण वैवाहिक जीवन प्राप्त करना संभव है, बशर्ते हम ग्रहों के संकेतों को समझें और सकारात्मक दिशा में प्रयास करें।


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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: क्या ज्योतिषीय योग किसी को अपराध करने के लिए मजबूर करते हैं?

नहीं, ज्योतिषीय योग केवल संभावित प्रवृत्तियों और परिस्थितियों का संकेत देते हैं। वे किसी व्यक्ति को अपराध करने के लिए मजबूर नहीं करते। व्यक्ति का स्वतंत्र कर्म और उसके निर्णय ही अंतिम परिणाम निर्धारित करते हैं।

प्रश्न 2: क्या मंगल दोष हमेशा वैवाहिक जीवन के लिए बुरा होता है?

मंगल दोष वैवाहिक जीवन में कुछ चुनौतियाँ ला सकता है, लेकिन यह हमेशा बुरा नहीं होता। यदि इसका विधिवत निवारण किया जाए या यदि जीवनसाथी की कुंडली में भी मंगल दोष हो, तो इसके नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं।

प्रश्न 3: क्या वैवाहिक कलह के लिए केवल ग्रहों की स्थिति जिम्मेदार है?

नहीं, वैवाहिक कलह के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें व्यक्तिगत मतभेद, संचार की कमी, आर्थिक समस्याएँ, और सामाजिक दबाव शामिल हैं। ज्योतिषीय योग केवल एक पहलू हैं जो इन समस्याओं को बढ़ा सकते हैं।

प्रश्न 4: क्या ज्योतिषीय उपाय हमेशा काम करते हैं?

ज्योतिषीय उपाय ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में सहायक होते हैं। हालांकि, इनकी सफलता व्यक्ति की श्रद्धा, विश्वास, और कर्मों पर भी निर्भर करती है।

प्रश्न 5: मुझे अपनी कुंडली का विश्लेषण कहाँ कराना चाहिए?

आपको हमेशा किसी योग्य, अनुभवी, और विश्वसनीय ज्योतिषी से ही अपनी कुंडली का विश्लेषण कराना चाहिए। अंधविश्वास और धोखाधड़ी से बचें।

एक खुशहाल दंपति मंदिर में पूजा कर रहे हैं एक खुशहाल दंपति मंदिर में पूजा कर रहे हैं


अस्वीकरण: यह लेख केवल ज्योतिषीय जानकारी और मार्गदर्शन के लिए है। इसका उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या घटना को सीधे तौर पर जोड़ना या किसी को दोषी ठहराना नहीं है। ज्योतिषीय योग केवल संभावित प्रवृत्तियों का संकेत देते हैं, और व्यक्ति का स्वतंत्र कर्म ही अंतिम परिणाम निर्धारित करता है। किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय से पहले योग्य ज्योतिषी और कानूनी विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। AstroLive.Co.In किसी भी प्रकार की हानि या गलत व्याख्या के लिए जिम्मेदार नहीं है।

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