आधुनिक घरों के लिए वास्तु शास्त्र: कमरा-दर-कमरा गाइड

आधुनिक घरों के लिए वास्तु शास्त्र: कमरा-दर-कमरा गाइड

आधुनिक घरों के लिए वास्तु शास्त्र: कमरा-दर-कमरा गाइड

आज के दौर में आधुनिक घरों में वास्तु शास्त्र का सही प्रयोग करना एक कला है जो आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, खुशहाली और समृद्धि लेकर आती है। पारंपरिक वास्तु सिद्धांतों को आधुनिक आर्किटेक्चर के साथ मिलाकर आप अपने घर को एक आदर्श वास्तु-अनुकूल स्थान बना सकते हैं। यह व्यापक गाइड आपको हर कमरे के लिए व्यावहारिक वास्तु टिप्स प्रदान करती है जो न केवल वैज्ञानिक आधार पर आधारित हैं बल्कि आसानी से लागू भी की जा सकती हैं।

सफलता और संतुष्टि सफलता और संतुष्टि की कुंजी

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आधुनिक वास्तु शास्त्र का महत्व

आज के समय में जब हम छोटे फ्लैट और अपार्टमेंट में रहते हैं, तो पुराने जमाने के वास्तु नियमों को वैसे ही लागू करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम वास्तु शास्त्र का फायदा नहीं उठा सकते। आधुनिक वास्तु का मूल सिद्धांत यह है कि हम अपने घर की मौजूदा स्थिति के अनुसार वास्तु के नियमों को समायोजित करें।

घर में वास्तु दोष होने से परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य, करियर, रिश्तों और आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसीलिए हर कमरे की अपनी विशेष वास्तु आवश्यकताएं होती हैं जिन्हें समझना और उन्हें लागू करना जरूरी है।

वास्तु शास्त्र के पांच मूल तत्व

वास्तु शास्त्र पांच मूल तत्वों - पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश पर आधारित है। इन तत्वों का संतुलन ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनाता है।

मुख्य द्वार और प्रवेश क्षेत्र का वास्तु

आपके घर का मुख्य द्वार वास्तु की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। यहीं से सकारात्मक ऊर्जा आपके घर में प्रवेश करती है। मुख्य द्वार के लिए उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा सबसे अच्छी मानी जाती है।

मुख्य द्वार के लिए व्यावहारिक वास्तु टिप्स:

  • द्वार हमेशा अंदर की तरफ खुले, बाहर की तरफ नहीं
  • द्वार के सामने कोई बड़ा पेड़, खंभा या दीवार न हो
  • प्रवेश द्वार पर स्वस्तिक या ॐ का चिह्न लगाएं
  • द्वार की चौखट में दरार या टूट-फूट न हो
  • रोज सुबह द्वार की सफाई करें और तुलसी का पौधा लगाएं

लिविंग रूम (बैठक) का वास्तु

लिविंग रूम घर का दिल होता है जहाँ परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठते हैं। यह कमरा घर के उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। बैठक कक्ष का वास्तु सही होने से घर में शांति, खुशी और सामंजस्य बना रहता है।

बैठक कक्ष के लिए वास्तु व्यवस्था:

सोफा सेट हमेशा दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें ताकि बैठने वाले का मुंह उत्तर या पूर्व की तरफ हो। टेलीविजन को दक्षिण-पूर्व कोने में रखना सबसे अच्छा माना जाता है। कमरे के केंद्र को हमेशा खाली रखें क्योंकि यहाँ ब्रह्म स्थान होता है।

लिविंग रूम वास्तु चेकलिस्ट:

  • फर्नीचर भारी दक्षिण-पश्चिम में रखें
  • पूर्व और उत्तर की दीवारों पर हल्के रंग का प्रयोग करें
  • कमरे में पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी आने दें
  • तीखे कोनों वाले फर्नीचर से बचें
  • हरे पौधे उत्तर-पूर्व कोने में रखें

मास्टर बेडरूम का वास्तु

मास्टर बेडरूम के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा सबसे उत्तम मानी जाती है। यहाँ सोने से दंपति के बीच प्रेम, समझदारी और स्वास्थ्य में सुधार होता है। बेडरूम वास्तु टिप्स का सही पालन करने से नींद की गुणवत्ता बढ़ती है और तनाव कम होता है।

बेडरूम में बिस्तर की सही दिशा:

बिस्तर का सिरहाना हमेशा दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें। इससे सोते समय आपका सिर दक्षिण या पश्चिम की तरफ और पैर उत्तर या पूर्व की तरफ होंगे। कभी भी उत्तर दिशा में सिर करके न सोएं क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है।

महत्वपूर्ण सावधानी: बेडरूम में कभी भी बीम के नीचे बिस्तर न रखें और दरवाजे के सीध में भी बिस्तर न लगाएं।

बेडरूम वास्तु के अन्य नियम:

  • अलमारी दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें
  • ड्रेसिंग टेबल बेड के सामने न रखें
  • कमरे में भारी समान उत्तर-पूर्व में न रखें
  • गुलाबी, हल्का नीला या क्रीम रंग का प्रयोग करें
  • पति-पत्नी की जोड़ी वाली तस्वीरें लगाएं

सफलता और संतुष्टि बेडरूम में फर्नीचर की आदर्श व्यवस्था

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रसोई (किचन) का वास्तु

सफलता और संतुष्टि रसोई (किचन) का वास्तु

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रसोई घर की अग्नि तत्व से संबंधित जगह है इसलिए इसके लिए दक्षिण-पूर्व दिशा सबसे उत्तम है। किचन वास्तु नियम का सही पालन करने से घर में खुशहाली आती है और परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

रसोई में गैस चूल्हे की दिशा:

गैस चूल्हा हमेशा दक्षिण-पूर्व कोने में रखें और खाना बनाते समय आपका मुंह पूर्व दिशा की तरफ हो। यदि यह संभव न हो तो उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके भी खाना बना सकते हैं, लेकिन कभी भी दक्षिण या पश्चिम की तरफ मुंह करके खाना न बनाएं।

रसोई वास्तु के महत्वपूर्ण नियम:

  • पानी की व्यवस्था (सिंक) उत्तर या पूर्व में रखें
  • गैस और पानी को कभी एक ही दिशा में न रखें
  • फ्रिज दक्षिण-पूर्व, दक्षिण या पश्चिम में रख सकते हैं
  • अनाज का भंडारण दक्षिण-पश्चिम कोने में करें
  • रसोई में हमेशा साफ-सफाई रखें

बाथरूम और टॉयलेट का वास्तु

बाथरूम और टॉयलेट के लिए दक्षिण, पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा उपयुक्त मानी जाती है। आधुनिक घरों में अक्सर बाथरूम मास्टर बेडरूम के साथ जुड़ा होता है, ऐसी स्थिति में कुछ विशेष वास्तु उपाय करने चाहिए।

ध्यान दें: कभी भी उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में बाथरूम या टॉयलेट न बनवाएं क्योंकि यह बहुत बड़ा वास्तु दोष माना जाता है।

बाथरूम वास्तु के नियम:

टॉयलेट सीट की दिशा उत्तर-दक्षिण या पूर्व-पश्चिम में रखें। बाथरूम में वॉश बेसिन उत्तर या पूर्व दिशा में लगवाएं। शॉवर या नहाने का स्थान पूर्व या उत्तर में बनवाना अच्छा होता है।

बाथरूम वास्तु टिप्स:

  • बाथरूम का दरवाजा हमेशा बंद रखें
  • टॉयलेट में एग्जॉस्ट फैन जरूर लगवाएं
  • नहाने के पानी का निकास उत्तर या पूर्व में हो
  • सफेद या हल्के रंगों का प्रयोग करें
  • बाथरूम में तुलसी या कैक्टस का पौधा न रखें

बच्चों के कमरे का वास्तु

बच्चों के कमरे के लिए पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा सबसे अच्छी मानी जाती है। इससे बच्चों का मानसिक विकास अच्छा होता है और वे पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।

बच्चों के कमरे में पढ़ाई की मेज:

स्टडी टेबल हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा में रखें ताकि पढ़ते समय बच्चे का मुंह पूर्व या उत्तर की तरफ हो। इससे एकाग्रता बढ़ती है और याददाश्त तेज होती है। बच्चों का बिस्तर दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें।

बच्चों के कमरे के लिए विशेष टिप्स:

  • कमरे में हल्के और चमकीले रंगों का प्रयोग करें
  • खिलौने उत्तर-पश्चिम कोने में रखें
  • सरस्वती माता या गणेश जी की तस्वीर लगाएं
  • कमरे में पर्याप्त रोशनी और हवा आने दें
  • बेड के नीचे कोई समान न रखें

पूजा घर का वास्तु

घर में पूजा स्थल के लिए उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। यदि अलग पूजा कक्ष न बना सकें तो घर के किसी भी कमरे के उत्तर-पूर्व कोने में छोटा सा मंदिर बना सकते हैं।

पूजा स्थल की व्यवस्था:

मंदिर या पूजा की जगह थोड़ी ऊंचाई पर बनाएं और पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ हो। पूजा स्थल हमेशा साफ-सुथरा रखें और वहाँ नियमित रूप से दीप जलाएं।

पूजा घर वास्तु नियम:

  • मूर्तियाँ या तस्वीरें पूर्व या पश्चिम दिशा में रखें
  • पूजा स्थल के नीचे जूते-चप्पल न रखें
  • अगरबत्ती और दीप नियमित रूप से जलाएं
  • सफेद या हल्के पीले रंग का प्रयोग करें
  • तुलसी का पौधा जरूर रखें

पूजा घर का वास्तु पूजा घर का वास्तु

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स्टोर रूम और गैराज का वास्तु

स्टोर रूम या भंडार कक्ष के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा सबसे उपयुक्त है। यहाँ भारी सामान रखने से घर की स्थिरता बढ़ती है। गैराज के लिए उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पूर्व दिशा अच्छी मानी जाती है।

स्टोरेज एरिया वास्तु:

  • पुराना और अनुपयोगी सामान नियमित रूप से हटाते रहें
  • दक्षिण-पश्चिम में भारी सामान रखें
  • उत्तर-पूर्व कोना हमेशा खाली रखें
  • स्टोर रूम में नमी न आने दें
  • टूटे-फूटे सामान को तुरंत निकाल दें

छत और छतों पर बगीचे का वास्तु

आजकल बहुत से लोग अपनी छत पर बगीचा बनाते हैं। छत पर पौधे लगाने के लिए भी वास्तु के नियमों का पालन करना चाहिए। फलदार पेड़ उत्तर या पूर्व दिशा में लगाएं जबकि छायादार पेड़ दक्षिण या पश्चिम में लगा सकते हैं।

छत पर पानी की टंकी:

पानी की टंकी छत के दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम कोने में रखना सबसे अच्छा होता है। उत्तर-पूर्व में पानी की टंकी रखने से घर में धन की हानि हो सकती है।

आधुनिक घरों में वास्तु दोष और उनके उपाय

आज के फ्लैट और अपार्टमेंट में पूर्ण वास्तु के अनुसार कमरे बनाना हमेशा संभव नहीं होता। ऐसी स्थिति में कुछ सरल उपाय करके वास्तु दोषों को कम किया जा सकता है।

सामान्य वास्तु दोष और उनके तत्काल उपाय:

गलत दिशा में मुख्य द्वार: यदि आपका मुख्य द्वार दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम में है तो द्वार पर स्वस्तिक बनाएं और तुलसी का पौधा लगाएं। रोज सुबह द्वार की पूजा करें और गंगा जल छिड़कें।

रसोई में गैस-पानी का विरोध: यदि गैस और सिंक पास में हैं तो उनके बीच में एक छोटा सा पौधा या क्रिस्टल रख दें। यह अग्नि और जल तत्व के बीच संतुलन बनाता है।

बेडरूम में दर्पण की समस्या: यदि बेड के सामने दर्पण है तो रात में इसे कपड़े से ढक दें या दर्पण की दिशा बदल दें।

वास्तु यंत्र और उपकरण:

आधुनिक घरों में वास्तु सुधार के लिए कुछ विशेष यंत्रों का प्रयोग किया जा सकता है। पिरामिड, क्रिस्टल, वास्तु कम्पास और फेंगशुई उत्पादों का सही उपयोग करके घर की नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक में बदला जा सकता है।

प्रभावी वास्तु उपचार:

  • नमक के कटोरे घर के कोनों में रखकर नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करें
  • हवन या धूप नियमित रूप से करके घर की ऊर्जा शुद्ध करें
  • तुलसी, नीम और पीपल के पौधे घर के आसपास लगाएं
  • घंटी, शंख या विंड चाइम्स का उपयोग करके ध्वनि चिकित्सा करें
  • रंग चिकित्सा के द्वारा घर के कमरों में उपयुक्त रंगों का प्रयोग करें

विभिन्न वास्तु यंत्र और उनका सही प्रयोग विभिन्न वास्तु यंत्र और उनका सही प्रयोग

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छोटे घरों और स्टूडियो अपार्टमेंट का वास्तु

आज के महंगे शहरी जीवन में एक कमरे के फ्लैट या स्टूडियो अपार्टमेंट में रहना आम बात है। ऐसे छोटे स्थानों में भी वास्तु के सिद्धांतों को लागू किया जा सकता है।

वन रूम फ्लैट के लिए वास्तु टिप्स:

एक ही कमरे में बेड, किचन और काम की जगह को अलग-अलग क्षेत्रों में बांटें। बेड को दक्षिण-पश्चिम कोने में रखें, किचन को दक्षिण-पूर्व में और वर्क स्टेशन को उत्तर या पूर्व में रखने की कोशिश करें। पर्दों या फर्नीचर की मदद से अलग-अलग क्षेत्र बनाएं।

छोटे घरों के लिए विशेष सुझाव:

  • दर्पण का प्रयोग करके जगह को बड़ा दिखाएं लेकिन बेड के सामने न रखें
  • फर्नीचर मल्टी-फंक्शनल रखें जैसे स्टोरेज वाला बेड
  • छत से लटकने वाले पौधे लगाकर हवा की गुणवत्ता सुधारें
  • हल्के रंगों का प्रयोग करके जगह खुली और हवादार रखें
  • अनावश्यक सामान न रखें, मिनिमलिस्ट एप्रोच अपनाएं

त्योहारों और विशेष अवसरों पर वास्तु

दिवाली, धनतेरस और अन्य त्योहारों के समय घर की वास्तु व्यवस्था में कुछ विशेष बदलाव करने से सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि आती है। दिवाली में घर के उत्तर दिशा में दीपक जलाना और साफ-सफाई करना विशेष रूप से लाभकारी होता है।

त्योहारी सजावट का वास्तु:

रंगोली घर के प्रवेश द्वार पर बनाएं और उसमें हल्दी, कुमकुम और चावल का प्रयोग करें। तोरण या बंदनवार मुख्य द्वार पर लगाएं। कलश या घड़े को पूजा स्थल के पास रखें और उसमें आम के पत्ते लगाएं।

वास्तु के अनुसार इंटीरियर डिजाइन

आधुनिक इंटीरियर डिजाइन में वास्तु के सिद्धांतों को शामिल करना एक कला है। रंगों का चुनाव, फर्नीचर का प्लेसमेंट, लाइटिंग और डेकोरेशन - हर चीज में वास्तु का महत्व है।

कमरावार रंग योजना:

  • लिविंग रूम: हल्का पीला, क्रीम, सफेद या हल्का हरा
  • बेडरूम: गुलाबी, हल्का नीला, बेज या लैवेंडर
  • किचन: पीला, नारंगी या हल्का लाल
  • बाथरूम: सफेद, आसमानी या हल्का नीला
  • स्टडी रूम: हरा, हल्का पीला या सफेद

फर्नीचर और सजावट के वास्तु नियम:

फर्नीचर हमेशा गोल कोनों वाला चुनें। तीखे और नुकिले कोने नकारात्मक ऊर्जा पैदा करते हैं। पेंटिंग और तस्वीरों का चुनाव भी वास्तु के अनुसार करें। प्रकृति, पानी, पहाड़ और खुशी के चित्र लगाएं।

वास्तु और ज्योतिष का संबंध

वास्तु शास्त्र का ज्योतिष से गहरा संबंध है। आपकी जन्म राशि और नक्षत्र के अनुसार घर की दिशा और कमरों की व्यवस्था करने से अधिक लाभ मिलता है। विभिन्न राशियों के लिए अलग-अलग दिशाएं और रंग शुभ माने जाते हैं।

राशि के अनुसार वास्तु:

मेष, सिंह और धनु राशि के लोगों के लिए पूर्व दिशा अच्छी है। वृषभ, कन्या और मकर के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा शुभ है। मिथुन, तुला और कुंभ के लिए उत्तर-पश्चिम और कर्क, वृश्चिक व मीन के लिए उत्तर-पूर्व दिशा उत्तम मानी जाती है।

व्यावसायिक सफलता के लिए होम ऑफिस वास्तु

कोविड के बाद से घर से काम करना आम हो गया है। होम ऑफिस का वास्तु सही होना बहुत जरूरी है क्योंकि यह आपकी करियर की सफलता को प्रभावित करता है। वर्क फ्रॉम होम के लिए उत्तर या पूर्व दिशा सबसे अच्छी मानी जाती है।

होम ऑफिस वास्तु गाइडलाइन:

  • डेस्क पर बैठकर आपका मुंह उत्तर या पूर्व की तरफ हो
  • पीठ के पीछे ठोस दीवार हो, खुला स्थान न हो
  • टेबल पर क्रिस्टल या छोटा सा पिरामिड रखें
  • कंप्यूटर को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें
  • काम की जगह हमेशा साफ और व्यवस्थित रखें

बुजुर्गों के लिए वास्तु व्यवस्था

घर में बुजुर्गों के कमरे के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा सबसे उत्तम है। इससे उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और घर में उनका सम्मान बना रहता है। बुजुर्गों के कमरे में आरामदायक फर्नीचर और पर्याप्त रोशनी का विशेष ध्यान रखें।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष वास्तु टिप्स:

बुजुर्गों के कमरे में भगवान की तस्वीरें या मूर्तियां रखें। कमरे में गर्म रंगों का प्रयोग करें जैसे हल्का पीला या क्रीम। बिस्तर दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें और कमरे में पर्याप्त वेंटिलेशन की व्यवस्था करें।

आधुनिक घर वास्तु - अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1: क्या किराए के मकान में भी वास्तु के नियम लागू होते हैं?

हां, किराए के मकान में भी वास्तु के नियम उतने ही प्रभावी होते हैं। आप फर्नीचर की सही दिशा, सही रंगों का प्रयोग और छोटे-छोटे वास्तु उपाय करके सकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं।

प्रश्न 2: फ्लैट में मुख्य द्वार गलत दिशा में है तो क्या करें?

मुख्य द्वार की दिशा नहीं बदली जा सकती लेकिन द्वार पर स्वस्तिक, ॐ का चिह्न लगाकर, तुलसी का पौधा रखकर और नियमित पूजा करके इसका नकारात्मक प्रभाव कम किया जा सकता है।

प्रश्न 3: वास्तु के नियम कितने दिन में असर दिखाते हैं?

वास्तु के नियमों का प्रभाव तुरंत से लेकर 3 महीने तक दिखना शुरू हो जाता है। कुछ बदलाव जैसे सफाई और व्यवस्था का प्रभाव तुरंत दिखता है जबकि बड़े बदलावों में समय लगता है।

प्रश्न 4: क्या मॉडर्न फर्नीचर में भी वास्तु लागू होता है?

जी हां, आधुनिक फर्नीचर में भी वास्तु के नियम लागू होते हैं। मुख्य बात यह है कि फर्नीचर की दिशा, आकार और रंग वास्तु के अनुकूल हो।

प्रश्न 5: बच्चों की पढ़ाई के लिए कौन सी दिशा सबसे अच्छी है?

बच्चों की पढ़ाई के लिए पूर्व या उत्तर दिशा सबसे अच्छी मानी जाती है। स्टडी टेबल इसी दिशा में रखें ताकि पढ़ते समय बच्चे का मुंह पूर्व या उत्तर की तरफ हो।

प्रश्न 6: घर में कैसे पता करें कि वास्तु दोष है या नहीं?

यदि घर में बार-बार बीमारी, झगड़े, आर्थिक परेशानी या नींद न आने की समस्या हो तो यह वास्तु दोष के संकेत हो सकते हैं। कम्पास से घर की सही दिशाएं पता करके वास्तु चेक करवाएं।

प्रश्न 7: क्या वास्तु का कोई वैज्ञानिक आधार है?

वास्तु शास्त्र प्राकृतिक तत्वों के संतुलन पर आधारित है। सूर्य की रोशनी, हवा का प्रवाह, चुंबकीय क्षेत्र और भूगर्भीय ऊर्जा का प्रभाव वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है।

प्रश्न 8: घर में तुलसी का पौधा कहां रखना चाहिए?

तुलसी का पौधा घर के उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में रखना सबसे अच्छा होता है। यह वायु शुद्धीकरण के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है।

अपने घर को वास्तु-अनुकूल बनाने के लिए आज ही शुरुआत करें

यह गाइड आपके लिए फायदेमंद रही है तो इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। वास्तु के इन सरल नियमों को अपनाकर आप अपने घर में खुशी, समृद्धि और शांति ला सकते हैं।

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महत्वपूर्ण डिस्क्लेमर

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है और व्यक्तिगत वास्तु सलाह का विकल्प नहीं है। हर घर की स्थिति अलग होती है इसलिए किसी भी बड़े बदलाव से पहले किसी योग्य वास्तु विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। लेखक और प्रकाशक इस जानकारी के प्रयोग से होने वाले किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।

वास्तु शास्त्र एक पारंपरिक विद्या है जो व्यक्तिगत विश्वास पर आधारित है। इसके परिणाम व्यक्ति की मानसिकता, पर्यावरण और अन्य कई कारकों पर निर्भर करते हैं। यह लेख किसी धार्मिक या सामाजिक मान्यता को बढ़ावा देने के लिए नहीं लिखा गया है।

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