अश्विनी, मघा और मूल
केतू राजा के ये फूल
भरणी और पूर्वा, फाल्गुनी-षाढ़ा
शुक्र को पीना पड़ा बना बना के काढ़ा
कृत्तिका और उत्तरा, फाल्गुनी-षाढ़ा
सूरज के दिल पर चढ़ा
रोहिणी, हस्त और श्रवण
चंद्रमा को किया वरण
मृग, चित्रा और धनिष्ठा
मंगल का है पट्ठा
आर्द्रा, स्वाति, शतभिषा
राहू का है हिस्सा
पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वा
भाद्रपद है गुरु के उर मा
पुष्य, अनुराधा, उत्तरा
भाद्रपद हैं शनि का पिंजरा
आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती
बुध के दिल मे रहती